आँखों में डूब जाने को

( Aankhon mein doob jaane ko ) 

 

वो बेक़रार हैं ख़ुद राज़े-दिल बताने को
सजा रहे हैं बड़े दिल से आशियाने को

मिला है साथ हमें तेरा जब से ऐ हमदम
बढ़ा दिये हैं क़दम आसमां झुकाने को

तुम्हारा फूल सा चेहरा रहे खिला हरदम
मैं तोड़ लाऊँ सितारे तुम्हें हँसाने को

ये किस ख़याल में इतना यक़ीन है मुझ पर
हमेशा मुझ को ही चुनते हो आज़माने को

ये मिलना जुलना हमेशा ही इत्तिफ़ाक़ नहीं
वो ढूँढ लेता है हर दिन नये बहाने को

बहार आई तो सब कुछ लुटा दिया उस पर
बचा ही क्या है मेरे पास मुस्कुराने को

जो तुमने साज़े-मुहब्बत पे गुनगुनाया था
सुना रहा हूँ वही गीत अब ज़माने को

ये ज़ोर कैसा तमन्ना उठा रही सागर
किसी की झील सी आँखों में डूब जाने को

 

कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
यह भी पढ़ें:-

मुहब्बत से भर गई | Muhabbat Shayari in Hindi

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here