जनाब ये जिंदगी है | Janab ye Zindagi Hai
जनाब ये जिंदगी है
( Janab ye zindagi hai )
जीलो आज और कल हरदम बेझिझक
जनाब हमें जिंदगी बार-बार नहीं मिलेगी
जीवन में ढेर सारे ग़म और कहीं कहीं खुशी है जनाब
गम लेकर बैठे तो तुम हमेशा उदास रहो,
खूबसूरत है जनाब ज़िन्दगी हर पल खुश रहो
जिंदगी भर हर पल तुम्हें याद रहे ऐसी जियो
गम के पल याद हो या ना हो खुशी के पल जरूर करो याद
पर खुशियों और ग़म के हर पल हमेशा याद रहेंगे जनाब
जात-पात धार्मिक भेदभाव को खत्म करो,
घुल मिल कर चलते रहो भाईचारा कायम कर
आपस में लड़ते रहोगे कब तक यूं ही हर रोज़
प्रेम से रहना सीखो मोहब्बत का पाठ पढ़ाया करो
नफरत की जंजीर को तोड़कर आगे बढ़ते हुए
जीवन मे आनंद लेना सीखो आगे बढ़ते हुए
साम्प्रदायिक दुश्मन को पछाड़ तो सबको आगे बढ़ते हुए
भाईचारे की तरह रहना सीखो आगे बढ़ते हुए
जिंदगी नहीं मिलेगी दोबारा यूं व्यर्थ ना गंवाओ
गमों को भूलकर उदासियों को भूलकर खुशियां लाओं
खुशहाली में रहना सीखो मिल जुल कर रहो
गमों को पछाड़ कर और खुशी से जीना सीखो जनाब
मनजीत सिंह
सहायक प्राध्यापक उर्दू
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ( कुरुक्षेत्र )