जरूरत-मन्द -hindi poetry || jaroorat mand
जरूरत-मन्द
–>नकली के सम्मुख, असली फीका पड़ जाता है ||
1.नकली जेवर की चमक मे, असली सोना फीका पड गया |
नकली नगीनों की चमक मे, असली हीरा फीका पड गया |
दिखावटी लोगो की चमक मे, असली इंसान फीका पड गया |
मतलबी दोस्तों की धमक मे, सच्चा दोस्त फीका पड गया |
–>नकली के सम्मुख, असली फीका पड़ जाता है ||
2.लालची लोगो की भीड देख, जरूरत मन्द पीछे हट गया |
उसे तो शर्म आ गई खुद पर, पर लालची भीड मे डट गया |
मिले सब मन मुताबिक इस पर, बात बढाई बिगाड दी |
लोगों के दिल मे खुदगर्जों की, छबि बिल्कुल उजाड दी |
–>नकली के सम्मुख, असली फीका पड़ जाता है ||
3.सच मे है जरूरत जिसको, उसको ही दुतकार मिले |
अपना आत्म सम्मान बचाये, उसको ही फटकार मिले |
ढ़ोंगी लोभी मौज मनाते हैं, सच्चे दर-दर ठोकर खाते हैं |
एक बार ललकार मिले, वहां दुबारा कभी नहीं जाते हैं |
–>नकली के सम्मुख, असली फीका पड़ जाता है ||
4.परेशान होती खुद्दारी और, उसे सताया जाता है |
कई बार समझ कर भी, क्यों उसे भगाया जाता है |
उसकी किस्मत के संग उसको, लोग सताया करते हैं |
मदद से कोसों दूर हैं फिर भी, मजाक उडाया करते हैं |
–>नकली के सम्मुख, असली फीका पड़ जाता है ||