Jeevan par Hindi kavita
Jeevan par Hindi kavita

जीवन की परिभाषा

( Jeevan ki paribhasha )

 

हां! हम हर बात को बोलते है डंके की चोट,
नही है हमारे मन में किसी प्रकार की खोट।
पीठ- पीछे बोलें ऐसी आदतें नही है हमारी,
चाहें रुठ जाऐ दुनियां अथवा बांटे हमें नोट।।

 

सही को सही एवं गलत को गलत है कहते,
समझने वाले हम को चाहे कैसा भी समझें।
नही है किसी चीज का घमंड एवं अभिमान,
ख़्वाबों का बोझ उठाकर बनाएं ‌है ये घरोंदे।।

 

हमारे जीवन की एक छोटी सी है परिभाषा,
कभी जीत की आशा कभी हार से निराशा।
झूठ बोलना है आसान फिर करता परेशान,
इसलिए हम सदा सच, बोलते हिन्दी भाषा।।

 

अनेकों है इस प्रकार के संसार में उदाहरण,
अपनें ही भाईयों ने भाइयों को मारे खन्जर।
पीठ में लगे खन्जर जब गिनती किए उसने,
उतने ही निकलें ‌जिनको गले लगाया हमनें।।

 

चीरकर बहा देते है दुश्मन के सीने का लहू,
आंख उठाकर देखें कोई अगर मां बेटी बहु।
भाई से भाई का नाता तो है एक कोख का,
अपनें ही भाईयों को अब ‌मैं क्या-क्या कहूं।।

 

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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