Kab aaoge poem in Hindi
Kab aaoge poem in Hindi

कब आओगे

( Kab aaoge )

 

वृन्दावन जस धाम जहाँ पर, जमुना जी का घाट।

वहाँ  पे  राधा  देखे  आस , साँवरे  कब आओगे॥

….

शाम  से  हो गई  रात,  मुरलिया  की  ना  छेडी तान।

विकल हो राधा ढूँढे आज, श्याम तुम कब आओगे॥

….

नयना  सिन्धु  समान ,  छलकता  आँखो  से  है  प्यार।

कहे वो किससे अब मनभाव, श्याम तुम कब आओगे॥

……

दिल पे रख के हाथ, सोचे क्यो परिवर्तित है श्याम।

शेर  मन  डूबा है  श्रीश्याम, बताओ कब आओगे ॥

……

कल-कल छल-छल जमुना जल से, तीब्र अँश्रु की धार।

बिखर  गए  सोलहो  श्रृँगार ,  श्याम  तुम कब आओगे॥

 

✍?

कवि :  शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

 

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