
कब आओगे
( Kab aaoge )
वृन्दावन जस धाम जहाँ पर, जमुना जी का घाट।
वहाँ पे राधा देखे आस , साँवरे कब आओगे॥
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शाम से हो गई रात, मुरलिया की ना छेडी तान।
विकल हो राधा ढूँढे आज, श्याम तुम कब आओगे॥
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नयना सिन्धु समान , छलकता आँखो से है प्यार।
कहे वो किससे अब मनभाव, श्याम तुम कब आओगे॥
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दिल पे रख के हाथ, सोचे क्यो परिवर्तित है श्याम।
शेर मन डूबा है श्रीश्याम, बताओ कब आओगे ॥
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कल-कल छल-छल जमुना जल से, तीब्र अँश्रु की धार।
बिखर गए सोलहो श्रृँगार , श्याम तुम कब आओगे॥
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )