'एकता'

‘एकता’

“भैया, पापा जी और ताऊ जी में झगड़ा हो गया है। बहुत शोर शराबा मचा हुआ है। कोई किसी से कम नहीं है। ताऊ जी घर में रखा डंडा निकालकर ले आए हैं। ताऊ जी पापा को जान से मारने के लिए कह रहे हैं। हमें बहुत डर लग रहा है भैया। आप जल्दी से आ जाओ।” रोते हुए अर्चना ने अमित भैया से कहा।

“क्या हुआ अर्चना? दोनों मामा आपस में लड़ने क्यों लगे?” अमित भैया ने पूछा।

“मैं फोन पर कुछ नहीं बता सकती। आप प्लीज जल्दी से घर आ जाइये। परेशान मत हो। मैं 30 मिनट में घर पहुँच रहा हूँ। तुम छोटे मामा(अपने पापा) को समझाकर घर में अंदर ले जाओ और दरवाजा बंद कर लो। छोटे मामा से कहो कि वे एक गलत शब्द भी बड़े मामा (अपने बड़े भाई) के बारे में ना बोलें।

इससे बात और भी बिगड़ सकती है। छोटे मामा को बड़े मामा का सम्मान तो करना ही चाहिए। मैं आ रहा हूँ। मैं आकर दोनों मामाओं से बात करता हूँ कि आखिर क्या बात है? आप लोग आपस में क्यों झगड़ा कर रहे हैं?” अमित भैया ने अपनी ममेरी बहन अर्चना को आश्वासन देते हुए कहा।

अमित भैया एक इंटर कॉलेज में वाणिज्य के प्रवक्ता थे। अमित भैया के पिताजी काफी साल पहले स्वर्ग सिधर गए थे। इसलिए दोनों मामा अमित भैया को काफी सम्मान देते थे और उनकी हर बात का मान रखते थे। लगभग 1 घंटे में अमित भैया मामा जी के घर पहुंचे। उन्होंने दोनों मामाओं को अपने पास बुलाकर झगड़े का कारण पता करना चाहा। बड़े मामा छोटे मामा की तरफ इशारा करते हुए बोले-

“इसको मैं काफी दिनों से देख रहा हूँ। आए दिन बिना किसी कारण के यह मेरे बच्चों को पीट देता है, उन पर हाथ छोड़ देता है। आज भी मेरे चारों बच्चे और इसके तीनों बच्चे साथ-साथ खेल रहे थे। मैं काम पर गया हुआ था। तुम्हारी बड़ी मामी कमरे में काम कर रही थी। तभी अचानक मेरा 9 वर्ष का बड़ा लड़का बहुत जोर से रोता हुआ अंदर आया। उसके गाल पर थप्पड़ के निशान लगे हुए थे।

तुम्हारी मामी ने मोनू से पूछा कि क्या हुआ? तुम क्यों रो रहे हो? तुम्हें किसने मार दिया? तो मोनू ने बताया कि चाचा ने मुझे मारा है। मेरे दोनों गालों पर थप्पड़-थप्पड़ बजाए हैं। बच्चों के गाल पर अभी भी इनके थप्पड़ों के हाथों के निशान छपे हुए हैं। अमित इससे पूछो कि मेरे बच्चों पर इसने हाथ क्यों उठाया?

जो भी दिक्कत या परेशानी थी.. मुझे बताता या इसकी मां को बताता। लेकिन इसने हाथ उठाकर बहुत बड़ी गलती की और ऊपर से माफी मांगने की बजाय मुझसे झगड़ रहा है और खुद को सही साबित करने में लगा है कि उसने बच्चों को मार कर कोई गलती नहीं की। मैं यह सब बर्दाश्त नहीं करूंगा। अगर किसी ने मेरे चारों बच्चों की तरफ आंख उठा कर भी देखी तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।”

बड़े मामा की बात सुनकर अब अमित ने छोटे मामा से पूछा-

“मामा जी, अब आप बताओ कि आखिर माजरा क्या है? आखिर तुमने मोनू की पिटाई क्यों की?”

छोटे मामा बोले- “बात यह है कि मैं खाना खा रहा था और ये सब बच्चे मेरे सामने यही आंगन में खेल रहे थे। भैया का बड़ा लड़का मोनू बहुत शैतान है। यह बार-बार बच्चों पर मिट्टी फेंक फेंक कर मार रहा था। मैंने इसकी ओर घूर कर देखा और कहा कि मिट्टी ऐसे मत फेंको, आंखों में गिर जाएगी तो दिक्कत होगी।

इससे आंखों की रोशनी भी जा सकती है। इस पर मेरी बात का कोई असर न हुआ। इसके बाद भी मोनू ने अपनी शैतानी जारी रखी। कुछ देर बाद मोनू ने मेरी लड़की कामिनी के कपड़ों में अंदर तक मिट्टी भर दी। वह रोने लगी। मैंने तब फिर मोनू को डांट लगाई।

मैंने कामिनी को अपने पास बुला लिया और उससे कहा कि वह नहा ले और कपड़े बदल ले। मोनू अच्छा लड़का नहीं है। वह सबको परेशान करता है। उसके साथ मत खेला कर। कामिनी मान गई और मेरे पास वहीं खाट पर बैठ गई। कुछ देर बाद मोनू ने मेरे 5 साल के बेटे कपिल की आंखों में मिट्टी भर दी। कपिल ने गुस्से से मोनू के हाथ में काट लिया। बस क्या था? इतना हुआ ही था कि मोनू.. कपिल के गले में हाथ डालकर उसका कसकर गला घोटने लगा। यह सब मैं अपनी आंखों से नहीं देख सकता था।

कपिल की जान भी जा सकती थी, वह चीखना चाह रहा था लेकिन उसकी आवाज नहीं निकल रही थी। इसलिए मैंने मोनू से कपिल को बहुत मुश्किल से छुड़ाया और उसके गाल पर कस कर दो थप्पड़ जड़ दिए उसको घर जाने को कहा। लेकिन मोनू इतना बदतमीज है कि उसने मुझे गाली दी और मेरी तरफ मुझे मारने के लिए हाथ उठाकर भी दिखाया। इस बात पर मैंने उसके गाल पर दो थप्पड़ और मारे।

इतना छोटा बच्चा होकर मुझे आंखें दिखाएं और थप्पड़ दिखाएं? अभी ये हाल है, बड़ा होकर पता नहीं ये क्या करेगा? यह मैं कैसे बर्दाश्त कर सकता था। बस इतनी सी बात है। उधर मोनू ने घर पहुंचकर ना जाने भाभी जी से क्या-क्या कहा? भाभीजी ने भी भैया को फोन कर दिया। किसी ने भी मुझसे यह जानने की कोशिश नहीं की कि आखिर मैंनें मोनू को क्यों मारा?

बस बिना वजह जानें भैया भाभी मुझसे और मेरी पत्नी से लड़ने आ गए और हमें भला बुरा कहने लगे और तो और मुझे जान से मारने की धमकी तक देने लगे। कुछ देर तक तो मैं बर्दाश्त करता रहा। लेकिन मैं आखिर कब तक बर्दाश्त करता। इसलिए मैंने भी भैया के साथ बदतमीजी से बात शुरु कर दी इनको भी दो-चार बातें बोल दी।
बस इतनी सी बात है।”

दोनों पक्षों की बातें सुनकर अमित भैया बड़े मामा से बोले-

“मामा जी, आप बड़े हो। मैं आपका बहुत सम्मान करता हूँ और आपको बहुत बुद्धिमान मानता हूँ। आपने अपने बच्चों और पत्नी की बातों पर विश्वास किया जबकि आपने एक बार भी अपने भाई से भी पूछना गंवारा न समझा कि आखिर क्या बात है? आखिर छोटे मामा आपके बच्चों को बिना कारण क्यों मारेंगे? आपके बच्चों को इन्होंने भी तो पाला पोसा है, खिलाया है।

बच्चों द्वारा गलती करने पर डाँटने का हक तो सभी को होता है। ये तो आपके भाई हैं। ये तो आपके बच्चों को और आप इनके बच्चों को गलती पर समझा सकते हो, पिटाई लगा सकते हो। इसमें बुरा मानने वाली क्या बात है? अगर बच्चा बिगड़ गया तो बाद में आप लोगों को ही दिक्कत होगी।

बच्चों में अच्छे बुरे की समझ, व अपने से बड़ों का आदर करना व उनका कहना मानने की अच्छी आदत पड़नी बेहद जरूरी है। बच्चों को हम कितना भी पढ़ा लें लेकिन अगर उनमें संस्कार नहीं है, शिष्टाचार नहीं है, बोलने का सलीका नहीं है, बड़ों की इज्जत करना नहीं जानते… तो उनकी ऐसी शिक्षा किसी काम की नहीं है। बच्चों की बातों में आकर या अपनी पत्नियों की बातों में आकर अपना जन्म से बना भाई से अटूट रिश्ता खराब करना कहाँ तक सही है? ऐसा मत करो। तुम्हारे भाई को तुमसे बेहतर कौन जान सकता है।

आपसी फूट, रंजिश व लड़ाई का दुनिया तमाशा देखती है और मजे लेती है। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चें आपस में मिलजुल कर रहें.. उनमें एकता बनी रहे… वे कभी अलग ना हो। सुख दुःख में एक दूसरे के साथ खड़े रहें। लेकिन आप लोग खुद आपस में भाई होकर.. एक होकर नहीं रह सकते तो फिर बड़े होकर आपके बच्चे कैसे एकजुट होकर रह सकेंगे?

वह भी तो अपनी बीवी/बच्चों के बहकावे में आकर एक दूसरे से लड़ बैठेंगे और एक दूसरे की जान ले लेंगे। ऐसा ना हो इसलिए अभी भी सचेत हो जाओ और एक बनकर, प्यार से रहो। कहीं ना कहीं बच्चा वही तो सीखेगा जो हम उसे दिखाएंगे या उसके सामने अपने से छोटे या बड़े से व्यवहार करेंगे। हमें बच्चों के सामने खुद को आदर्श बनकर दिखाना है। तभी बच्चों में अच्छे संस्कार बनेंगे और सब भाई बहन मिलकर रहेंगे।”

दोनों मामा अमित भैया की बातें चुपचाप सुन रहे थे। कुछ देर बाद बड़े मामा अपने छोटे भाई के लिए बोले-

“मुझे इसकी किसी बात पर यकीन नहीं है। यह एक नंबर का झूठा है। मेरे बीवी बच्चे गलत नहीं हो सकते। इसने जानबूझकर मेरे बच्चे पर हाथ उठाया है और अब कहानी बना रहा है। मैं इससे किसी तरह का कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता। मैं शांति के साथ जीना चाहता हूँ। जब तक यह मेरी आंखों के सामने रहेगा, लड़ाई-झगड़ा होता रहेगा। मेरी बीवी और मेरे बच्चे इसको पसंद नहीं करते। बेहतर है कि हम अलग-अलग रहें। इसी में दोनों की भलाई है।”

“यह कैसी बातें कर रहे हो बड़े मामा? मैं इतनी देर से समझा रहा हूँ लेकिन आपको मेरी बात समझ में नहीं आ रही है। जब आपको मिलजुलकर रहना ही नहीं है तो मेरा समझाना और यहाँ आना ही बेकार हो गया। प्लीज बड़े मामा मान जाओ। ज़िद्द नहीं करते। छोटे मामा तो कुछ नहीं कह रहे। वह तो आपके साथ रहने को तैयार हैं।

आप अपने बच्चों और पत्नी को समझाओ लेकिन आपसी संबंध खराब मत करो। भाई ही भाई के काम आता है। बाद में कहीं ऐसा ना हो कि आपको पछताना पड़े।”
बड़े मामा उठ खड़े हुए। उन्होंने अमित भैया की कोई बात न मानी। उनके अपने भाई से संबंध खराब तो हो ही गए थे.. अमित भैया से भी उन्होंने अपने संबंध खराब कर लिए।

आज के दौर में व्यक्ति अपने निजी स्वार्थ के लिए कोई ना कोई बहाना लेकर सच्चे और अच्छे रिश्तों को खराब कर लेता है। जो उसके अपने होते हैं वे उससे दूर हो जाते हैं। एक समय ऐसा आता है जब हमें इन रिश्तों का मोल समझ आता है, हमें हमारी गलती नजर आती है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।

कोई आपको माफ करके गले लगाने वाला भी नहीं होता। अतः समय रहते अपनी बुद्धि, विवेक का सही इस्तेमाल करते हुए.. पारिवारिक एकता के साथ सब भाई-बहन आपस में मिलजुल कर प्यार से रहें.. एक दूसरे का सम्मान करते रहें। लोगों के लिए भाई बहन की एक मिसाल बनें। जिंदगी अनिश्चित है। क्या पता कल हम हों या न हों?”

लेखक:- डॉ० भूपेंद्र सिंह, अमरोहा

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