कल और आज | Kal aur Aaj
कल और आज
( Kal aur aaj )
पहले जब सात्विक खाते थे,
तब हम तंदुरुस्त कहलाते थे।
आज केएफसी में जाते हैं,
तामसी आहार मंगवाते हैं।
पहले घर पर खाना बनता था,
शुद्ध और सतोगुणी होता था।
आज बाहर से खाना आता हैं,
साथ में ढेरों बीमारी लाता हैं।
पहले घर पर गेहूं पिसता था,
फिर भी स्वास्थ बढ़िया था।
रोटी तैयार आटे की होती है,
फिर भी जान निकल जाती है।
मसाले घर पर कुटे जाते थे,
खाने का भी स्वाद बढ़ाते थे।
आज मसाले रेडीमेड लाते हैं,
साथ में कई बीमारियाँ पाते हैं।
पहले कुऍं से पानी भरते थे,
रस्सी से घड़े को खींचते थे।
आज फ्रिज का पानी पीते हैं,
बीमारियो के साथ में जीते हैं।
पहले घर में जल के घड़े थे,
लोग व्याधि से दूर बड़े थे।
आज सभी के पास में आरो है,
लेकिन संग में रोग हज़ारों है।
कवि : सुमित मानधना ‘गौरव’
सूरत ( गुजरात )
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