कर दो इतना करम ऐ हसीं वादियों
कर दो इतना करम ऐ हसीं वादियों

कर दो इतना करम ऐ हसीं वादियों

( Kar Do Itna Karam Aye Haseen Waadiyon )

 

 

कर दो इतना करम ऐ हसीं वादियों
बाॅ॑हों  में  हो  सनम ऐ हसीं वादियों

 

जब  कभी भी मैं देखूं तुझे झूमते
होता उनका भरम ए हसीं वादियों

 

आती  जब भी नहीं याद उनकी कभी।
होता दिल पे सितम ए हसीं वादियो।।

 

है  ज़माने  में सब कुछ वो मेरे लिए ।
वो ख़ुदा से नहीं कम हसीं वादियो ।।।

 

हमसफ़र की तरह साथ जब वो चले।
मिट गए सारे ग़म ए हसीं वादियों।।

 

कवयित्री: दीपिका दीप रुखमांगद
जिला बैतूल
( मध्यप्रदेश )

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Kavita | अबोध

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