Kar gaya baat woh ajnabi ki tarah
Kar gaya baat woh ajnabi ki tarah

कर गया बात वो अजनबी की तरह

( Kar gaya baat woh ajnabi ki tarah )

 

कर गया बात वो अजनबी की तरह
बन गया और वो अब सभी की तरह

 

और वो कर रहा है दग़ा प्यार में
अपना माना उसे जिंदगी की तरह

 

दोस्ती में दरार फ़िर न आती मगर
वो अगर पेश आता ख़ुशी की तरह

 

वो लबों पे हंसी की तरह कब आये
वो निगाहों में आये नमी की तरह

 

ग़ैर होने का अहसास होगा न फ़िर
वो अगर जो मिले आशिक़ी की तरह

 

वो वफ़ा बनकर आये सदा जीस्त में
वो न आये कभी दिल्लगी की तरह

 

ग़ैर आज़म नहीं है कोई ऐ सनम
बात मत कर न मुझसे सभी की तरह

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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