Kare hai usse faasle hum nahi
Kare hai usse faasle hum nahi

करे है उससे फ़ासले हम नहीं

( Kare hai usse faasle hum nahi )

 

करे है उससे फ़ासिले हम नहीं
दग़ा प्यार में ही करे हम नहीं

 

चुनी है मुहब्बत की राहे हमने
नफ़रत की राहों पर चले हम नहीं

 

बेअदबी करी घर बुलाकर अपनें
उसके रु ब रु फ़िर हुये हम नहीं

 

ठुकराया सगाई का रिश्ता जब से
नगर में उसके फ़िर गये हम नहीं

 

नाता तोड़ गया है वही जब से
उसी से कभी फ़िर मिले हम नहीं

 

दग़ाबाज़ की तोड़ दी दोस्ती को
कभी साथ उसके रहे हम नहीं

 

गया छोड़ आज़म नगर वो जब से
गली फ़िर उसी के गये हम नहीं

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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