बाद तुम्हारे

बाद तुम्हारे

( Baad Tumhare )

जो आशा के बीज थे बोए,
उन पर वक्त के ऑसू रोए,
छोंड़ गए तुम साथ हमारा,
कैसे हो बिन तेरे गुजारा,

आज नहीं तुम साथ हो मेरे,
तब चिंता घेरे बहुतेरे,
कैसे सबसे पार मै पाऊं,
विकट परिस्थित घबरा जाऊं,

आती है अब याद तुम्हारी,
पापा हर एक बात तुम्हारी,
सजल ऑख से बहती है,
जीवन की कड़वाहट सारी,

कठिन मगर सारी सच्ची थी,
सीख तुम्हारी सारी अच्छी थी,
वही काम आती अब बाद तुम्हारे,
जब भी जीवन मे हम हारे।

Abha Gupta

आभा गुप्ता
इंदौर (म. प्र.)

यह भी पढ़ें :-

रक्तदान पर कविता

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here