बहना | Kavita Bahna
बहना
( Bahna )
जीवन को महकाती बहना
हर ग़म को सह जाती बहना ।
मां की ममता स्नेह पिता का
सब हम पर बरसाती बहना ।।१।
गोद लिए टहलाती बहना
अक्षर ज्ञान कराती बहना ।
डगमग करते पाँव कभी तो
उँगली पकड़ चलाती बहना ।।२।
गलती पर गुर्राती बहना
प्रेम सहित समझाती बहना ।
दोष हमारे कभी न कहती
स्वयं भले पिट जाती बहना ।।३।
दुःखी देख दुःख पाती बहना
स्वयं द्रवित हो जाती बहना ।
अपने हिस्से का भोजन भी
हँस हँस हमें खिलाती बहना ।।४।
गरल घूँट पी जाती बहना
दिन दुर्दिन सह जाती बहना।
पर पीहर का कष्ट देख
झटपट दौड़ी आती बहना ।।५।
राखी में जब आती बहना
घर आँगन महकाती बहना ।
रोली चंदन से वंदन कर
स्नेह सुधा बरसाती बहना ।।६।
जीवन-राग सिखाती बहना
कहने में सकुचाती बहना ।
भाई की खुशियों के खातिर
हक़ अपना ठुकराती बहना ।।७।
अजय जायसवाल ‘अनहद’
श्री हनुमत इंटर कॉलेज धम्मौर
सुलतानपुर उत्तर प्रदेश
© दीवार मिलते हैं (काव्य-संग्रह से)
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