
मैं आऊंगा दोबारा
( Main Aaunga Dobara )
ये गांव ये चौबारा मैं आऊंगा दुबारा
चाहे सरहद पे रहुं या कहीं भी रहूं
पहन के रंग बसन्ती केसरिया
या तिरंगी पगड़ियां
मैं आऊंगा दुबारा
के देश मेरा है प्यारा
सिर मेरे कफ़न दिल में है वतन
लाज इसकी बचाने
हो जाऊंगा हवन
हो देश में खुशहाली
चारों तरफ हरियाली
सिंदूरी शाम मतवाली
मिले सबको यहां
सूरज की लाली
हो सुख समृद्धि का भण्डारा
मैं आऊंगा दुबारा
के देश मेरा है प्यारा
किसी के हाथों में सज रहा कंगना
कहीं गूंजे किलकारी अंगना
राह देखे मेहंदी कहीं सजना
आ बहना बांध दें
डोर राखी की दुबारा
गले मिल ले माये
आया तेरी आंख का तारा
कल फिर सरहद पे जाना है
मां भारती का दामन बचाना है
छोड़ रंग बिरंगी यादें
चला जाऊंगा मैं आगे
जिन बाहों ने झुलाया था मुझे
जिन कंधों ने उठाया था मुझे
जिन फूलों ने सेहरा सजाया
उनको याद करना है मुझे
डोला तिरंगे का सजा कर
लौट आऊंगा दुबारा
ये आंगन भी है प्यारा
ये देश भी है प्यारा
लेने आखरी सलामी
मैं आऊंगा दुबारा
कवि : राजेश गोसाईं
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