Kavita bharat milap

भरत मिलाप | Kavita bharat milap

भरत मिलाप

( Bharat milap )

 

कैसी लीला रची काल ने वन को चले गये रघुराई
दशरथ राम राम कर हारे जब अंत घड़ी बन आई

 

भ्रातप्रेम व्याकुल भरतजी अवध रास ना आया
सेना लेकर चला भक्त भगवन कैसी यह माया

 

जग का पालनहारा वन में जब वनवासी बन आया
पाप बढ़ गया जब धरा पे सब नारायण की माया

 

धरती अंबर चांद सितारे कहां गए मेरे राम प्यारे
दसों दिशाएं ढूंढ के लाओ मेरे रघुवर नयनतारे

 

सुरसरि तीर केवट बोलो कहो कहां है पावन नैया
सारे जग का तारणहारा वही स्वामी वही खिवैया

 

मैं निर्भागी सिंधु तट रहकर भी भाग्य बदल ना पाया
स्वामी के चरणों का सेवक चल स्वामी तक आया

 

रोको रास्ता बहती हवाओं स्वामी का संकेत बताओ
वृक्ष लगाएं पर्वत नदियां कहां प्रभु श्रीराम दिखाओ

 

करुणानिधान स्वामी मेरे आया हूं मैं शरण में तेरे
भाई भाई गले मिल रहे गदगद नैना अश्रुओं ने घेरे

 

?

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

राम वन गमन | Kavita Ram VAn Gaman

 

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *