Kya Kahe kya Raaz hai
Kya Kahe kya Raaz hai

क्या कहें, क्या राज है

( Kya kahe, kya raaz hai ) 

 

क्या बताएं वजह कोई,क्या कहें क्या राज है !
मुद्दतों से मुल्क की क्यों, तबीयत नासाज है !!

आ चुके दानां हकीमो, डाक्टर कितने यहाॅं
हो नहीं पाया अभी तक,क्यों मगर इलाज है !!

वतन के हमदर्द क्यों, बाकी नहीं कोई कहीं
क्यों वफ़ा’ ओ मुरव्वत का गुम हरेक रिवाज़ है !!

छीनता आया निवाले, इस वतन के आम का
हर खुशी, चैनो सुकूॅं जो,कौन वह शहबाज़ है !!

कंस, रावण, गोडसे क्यों, मुल्क के इतिहास हैं
क्यों उन्हीं की आजतक भी, आरही आवाज़ है !!

वक्त के घावों के फोड़े, क्यों बने नासूर हैं
किस तरह उठने लगी अब,कोढ़ परभी खाज है !!

फ़लसफे़ नाकाम दुनिया, के यहां क्यों हो गए
क्यों यहां के फ़लसफ़ों का,अलगही अंदाज़ है !!

क्यों नहीं सोने की चिड़िया,अब कहीं “आकाश”में
खत्म उसकी क्यों भला अब, हो रही परवाज़ है !!

 

कवि : मनोहर चौबे “आकाश”

19 / A पावन भूमि ,
शक्ति नगर , जबलपुर .

482 001

( मध्य प्रदेश )

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