Hind ka gaurav

हिन्द का गौरव

( Hind ka gaurav ) 

 

भारत माता की सुरक्षा में जो लोग दे देते है जान,
अमर हो जाते ऐसे लोग और ‌बन जाते है महान।
अनेंक हुए ऐसे सैनानी जिन्होंने दिया है बलिदान,
और कहलाएं ऐसे ही लोग भारत वर्ष की शान।‌।

हिन्द का गौरव भी कहलाते ऐसे बहादूर जांबाज़,
देशद्रोहियों व आतंकियों को मिला देते यें ख़ाक।
राष्ट्रहित एवम देशभक्ति का झंडा यही है लहराते,
ना डरते ना घबराते यह अमेरिका चाईना पाक।।

शीतऋतु चाहें ग्रीष्मऋतु अथवा बरसे ये बरसात,
कठिन नही कोई पगडण्डी इनके लिए दिन-रात।
चतुर-चंचल और स्वाभिमानी सारे होते है जवान,
शूरवीर साहसी जोशिले‌ प्रेम पूर्ण करते है बात।।

भूख एवम थकान से भी यह कभी हार न मानते,
आंधी-तूफ़ान में भी हंसकर कर्तव्यों को निभाते।
चाहें होली दिवाली एवम आए क्रिसमस रमज़ान,
यह कठिन समय में सबकी आस बनकर आते।।

जय हिन्द होता है इन बहादूर सैनानियों का नारा,
एक हाथ बंदूक एवं दूसरे में तिरंगा रखते प्यारा‌।
नही होता है इनकी ज़िदग़ी का कोई भी ठिकाना,
घूमते रहते काश्मीर से कन्याकुमारी तक सारा।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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