बोतल | Kavita Botal
बोतल
( Botal )
ता-ता थैया करती
बोतल लाती है बाहर l
उसकी ताकधीना-धिन
पर नाच रहा संसार l
बोतल में है समाया
सारे जग का सार l
करता है गुलामी
बोतल की संसार l
बिन बोतल के
सूना है संसार
बिना बोतल नहीं
नहीं है मनुज का उद्धार।
बोतल के दम पर
आज बच्चा पलता है l
जन्मते ही उसके मुंह में
निप्पल लगता है।
स्कूल जाता है
बच्चे के संग
पानी की बॉटल
सफर नहीं कटता
बिन बोतल।
गबरू जवान जब
बच्चा हो जाता है l
रंगीन शामें वह
बोतल संग करता है l
आई चौथेपन की बेला
दवाइयों ने लगाया मेला l
जब अंत समय आता है
तो डॉक्टर हाथ में
सलाइन चढ़ाता है।
बोतल की आदत है
बहुत खराब
जब-तब जिस-तिस
पर वह चढ़ जाती है।
राजेंद्र कुमार रुंगटा
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)