चल चित्र

( Chal Chitra )

चल चित्र का आज कल
क्या हाल हो रहा है।
देखो अब दर्शको का
टोटा सा पड़ रहा है।
एक जमाना था चलचित्रों का
जो देखते ही बनता था।
पर अब हाल बहुत बुरा है
देखों चल चित्रों का।।

लड़ते मरते थे दर्शक
देखने को पहला शो।
हालत ये होते थे कि
दूगने में टिकट लेते थे।
पर शो पहला देखकर
बहुत खुश होते थे।
अब चल चित्रों को देखने
दे रहे है उपहार।।

देखते ही देखते बदल गई
देखो दर्शको की सोच।
वैसे भी अब चल चित्र
नही बन रहे पहले जैसे।
न होती है कोई कहानी
और न ही होता है संगीत।
इसलिए दर्शको में अब
नही बचा देखने का उत्साह।।

चलते चलते बता देते है
चल चित्रों का हम चित्रण।
कैसे कैसे दृश्यों को वो
दिखा रहे है चल चित्रों में।
पहले और अब में देखो
कितना अंतर आ गया है।
जिसका कू-प्रभाव पड़ रहा
हमारे देश के युवाओं पर।।

न कोई अब संदेश होता है
और ही शिक्षाप्रद कोई बात।
जिसको देखकर लोग अब
सुधार कर सके समाज को।
इसलिए चल चित्रों में पहले
कुछ संदेश होते थे।
जो समाज की कुरीतियों को
उजागर कर देते थे।।

Sanjay Jain Bina

जय जिनेंद्र
संजय जैन “बीना” मुंबई

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