गुरुद्वार | Kavita Guru Dwar

गुरुद्वार

( Guru Dwar )

जहाँ सूर्य किरण हो ।
वहीं प्रकाश होता है ।

जहाँ असीम अनन्त हो।
वहीं आकाश होता है ।।

जिसे प्रभु-प्रेम होता है।
वही भव पार होता है ।

जहाँ संतो की वाणी हो।
वहीं उद्धार होता है।।

जहाँ प्रेम की भाषा हो।
वहीँ परिवार होता है ।

जिससे सामाजिक हित हो।
वही साहित्यकार होता है।।

जहाँ निःस्वार्थ भाव हो।
वहीं परोपकार होता है।

जहाँ परा,अपरा ज्ञान हो।
वहीं गुरुद्वार होता है।।

Prof Dr Alok Ranjan Kumar

डॉ.आलोक रंजन कुमार
विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग,
ए. के. सिंह कॉलेज, जपला,
जिला – पलामू , झारखण्ड।

यह भी पढ़ें:-

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आलोक रंजन कुमार से साक्षात्कार

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *