Atmi Jung par Kavita
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ऐटमी जंग!

( Atmi jung ) 

 

जंग का कोई नक्श बनाए तो उसे जला दो,
बाँझ होने से इस धरती की कोख बचा लो।
दुनिया के कुछ देश नहीं चाहेंगे जंग बंद हो,
ऐसी सुलगती भावना को मिट्टी में मिला दो।

जंग कोई अच्छी चीज नहीं दुनियावालों!
उन्हें दुनिया में जीना और रहना सीखा दो।
बदल दो उस नफरत को प्यार की खुशबू में,
तुम मोहब्बत के कतरे से सागर बना दो।

कोई कब तलक आँसुओं को छुपा के रखे,
ऐसा विद्धवंशक हथियार पानी में बहा दो।
नहीं मारे तुम तो वो किस्तों में कत्ल करेगा,
खंडहर होते जहां को मिसाइल से बचा लो।

खत्म हो रही नौकरी और बढ़ रही महंगाई,
हर किसी की नजर की मुस्कान बचा लो।
दुनिया डूबे आशिक़ी में बल्कि उसे डूबने दो,
पर बेगुनाहों का खून न किसी को बहाने दो।

जिन्दगी के जो लम्हें गुजर जाते हैं,आते नहीं,
किसी के लिए कोई फूल बिछाए,बिछाने दो।
जंग अपने आप में एक समस्या है,हल नहीं,
एटमी -बलाओं से इस आसमां को बचा लो।

 

रामकेश एम यादव (कवि, साहित्यकार)
( मुंबई )
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