हनुमान जन्मोत्सव

हनुमान जन्मोत्सव | Kavita Hanuman Janmotsav

हनुमान जन्मोत्सव

( Hanuman Janmotsav )

तुम
ज्ञान- गुण – सागर हो
श्रीराम की रक्षा के लिये
जीवन का सर्वस्व मिटाकर तुमने
युध्द में अपने कौशल्य से लंका – दहन किया .

तुम्हारी
जागृत मूर्ति को मैं प्रणाम करता हूं
कि तुम्हारा नाम लेते ही
शत्रु -नाश दुर्भाग्य -दूर और प्रेत-मुक्ति हो जाती है .

तुमको
यह सिन्दूर समर्पित है
रूई के हरे पत्ते व सफेद फूलों की माला सहित
भोग लगाना — मेरा पुण्यकर्म है प्रतिदिन
इसे स्वीकार करो…

तुम्हीं
मानस की सर्वश्रेष्ठ आत्मा हो
शक्ति और सामर्थ्य तुम्हारी प्रार्थना करके
अंतस की गहराइयों में अनुभूत होते हैं .

हे प्रभु ! तुम मेरे प्रिय हो
मेरे आराध्य हो .

सुरेश बंजारा
(कवि व्यंग्य गज़लकार)
गोंदिया. महाराष्ट्र

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बंजारा की नौ नवेली कविताएँ

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