संकटमोचन हनुमान
( Sankatmochan Hanuman )
हे संकट मोचन हनुमान,
तुम्हरे बिन संकट कौन हरे?
तुम्हारे सिवा कोई नहीं हमारा।
तू ही आकर दे दे सहारा।
स्वीकार करो वंदन हमारा।।
तुमने रघुनंदन के दुखड़े टारे।
हर मुश्किल से पार निकाले।
तुम राम जी के, राम तुम्हारे।
समझा हमने भी तुम्हें हमारा।
स्वीकार करो, वंदन हमारा।।
घर-घर चर्चा है तुम्हारी।
दीन- दुखियों के तुम हितकारी।
मेरी नाव मंझधार में अटकी।
लाज बचालो, दे दो सहारा।
स्वीकार करो ,वंदन हमारा।।
हे संकट मोचन हनुमान,
तुम्हरे बिन संकट कौन हरे?
चंद्रकला भरतिया
नागपुर महाराष्ट्र
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