होली का गुलाल | Kavita Holi ka Gulal
होली का गुलाल
( Holi ka Gulal )
होली का गुलाल कहें,
ये रंगो की बौछार कहें
मन में प्यार का संचार होना चाहिए।।
मिले सब होली में,
घर आए बैठे यार
सात्विक भोजन से ही
सत्कार होना चाइए !
रिफाइंड से तो बने लाख पकवान
सेहत का भी सबको ख्याल होना चाहिए।।
होली का गुलाल कहें…………..
हरा, पीला,नीला, लाल
सभी रंगों में उपलब्ध गुलाल
केमिकल वाले रंग बंद होना चाहिए।।
रंगो के तो बहुत स्वरूप देखे नकली
अबकी होली में अबीर गुलाल होना चाहिए ।।
होली का गुलाल कहें……………
चाहो तो फूलों से खेलों,
होली प्यार वाली ,
होली में बस उल्लास होना चाहिए!
नफरत भुलाके सभी को मित्र बनालो
नही कोई हृदय में मलाल होना चाहिए।।
होली का गुलाल कहें………….
होली तो जीत हैं,
सत्य की असत्य पर
होली में सद्भावना का विकास होना चाहिए।।
होली तो त्यौहार हैं,
प्रीत और गीत प्रेम का
फूहड़ता का अब विराम होना चाहिए,
गले मिल लगाओ गुलाल सभी ,
होली महोत्सव का सम्मान होना चाहिए।।
आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश