जय मां कालरात्रि

Kavita | जय मां कालरात्रि

जय मां कालरात्रि

( Jay Maa Kalratri )

 

कालरात्रि रूप में करती मां दुष्टों का संहार
विकराल रूप माता का दैविक शक्ति अपार

 

खड्ग खप्पर हाथ में ले त्रिशूल भाला शमशीर
रक्तबीज  संहारिणी  हरति जन जन की पीर

 

कालरात्रि  कालीका  रणचंडी  शक्ति रूप
साधक पर करती कृपा धरकर रूप अनूप

 

प्रेत पिशाच निशाचर सबको माता दूर भगा देती
रोग दोष क्लेश जीवन से माता दुखड़े मिटा देती

 

पर्वत वासिनी पहाड़ों वाली जय ज्वाला जगदंबा
दया  दृष्टि  बरसाओ  माता महर करो मां अंबा

 

अभय दान देती है माता दुखड़े सारे हर लेती
सच्चे मन से जो पुकारे मनवांछित फल देती

 

रूद्र  रूप  कालरात्रि  करती  पापियों  का  नाश
भक्तों की रक्षा करके मां बांटे प्रेम और विश्वास

 

आराधक दरबार में करते मां तेरी जय जयकार
खुशियों  से  झोली  भरे  यश वैभव देती अपार

?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

Kavita | लहर कोरोना की

 

 

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *