Paryavaran ka Dhyan
Paryavaran ka Dhyan

रखें इस पर्यावरण का ध्यान

( Rakhen is paryavaran ka dhyan )

 

चाहें पेड़-पौधे, जीव-जन्तु अथवा हो कोई इंसान,
इस प्रकृति से हम है और हमसे ही इसकी शान।
साफ़-स्वच्छ इसको रखो इससे जीवन खुशहाल,
इसके प्रदूषण से जाती देश में हजारों की जान।।

आओ मिलकर सब रखें इस पर्यावरण का ध्यान,
पेड़ पौधे हवा पानी इन सभी का कर लो ख़्याल।
ना काटो इन पेड़ों को जो ऑक्सीजन देते अपार,
बूॅंद-बूॅंद पानी की बचाकर सब बनो दीनदयाल।।

इन वृक्षों के जैसा दानी कोई आजतक नही हुआ,
सब-कुछ लुटा देते ख़ामोश रहकर यह इस धरा।
ना लेते बदले में किसी से चाहें उम्र भर कटते रहें,
देते शुद्ध हवा और छाया ये रहते जब तक हरा।।

ताजे मीठे फल भी देते और इनसे ही बनती दवा,
जड़ी-बूटियां एवं चाय-कॉफी यही देते है कहवा।
सूखा मैवा काजू-बादाम अखरोट आम और सेब,
चाहें नीम-बबूल साल-सागवान न काटे महुआ।‌।

साफ स्वच्छ रखना है जलाशय कुएं नदी तालाब
इनमें गन्दगी होने से होगा बीमारियों का सैलाब।
योजना बनाकर सब इनको साफ़ करते रहा करों,
प्रदूषण बचाकर पेड़ लगाकर रोकना है सैलाब।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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