
तुम मिलो तो सही
( Tum milo to sahi )
मन पे तेरे मन रख देगे, मन की बातें कह कर।
दबे हुए जज्बातों को भी,कह देगे हम खुल कर।
मन में तेरे जो संसय है, उसको मिटा देगे पर,
बीती बातें भूल के सारी…?
प्रिये तुम मिलो तो सही…..
रूठना तेरा हक है जानम, तुम्हे मनाना फर्ज मेरा।
जनम जनम का रिश्ता अपना,तू राधा मै श्याम तेरा।
जैसे चाँद चकोरी बिन, तडपत है चाँदनी रातों में,
अपने दिल का हाल बता दूं…?
प्रिये तुम मिलो तो सही…..
हे मृगनयनी चंचल चपला, क्यों इतना अकुलाई हो।
मुझे बता दो मन भावों को, नयनों से भूमि समाई हो।
शेर हृदय की धडकन हो ,जीवन का अभिमान मेरा,
हर चिन्ता को मिटा दूंगा पर….?
प्रिये तुम मिलों तो सही…..
आलिंगन करके मेरे, अधरों की प्यास बुझा देना।
खोल केशु मद्मस्त रूपसी, मन के ताप बढा देना।
फिर जो चाहोगी होगा वो, प्रेम प्रदान करो मुझको,
तोड के सारे बन्धन को पर…?
प्रिये तुम मिलों तो सही…..
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )