काशी | Kavita Kashi
काशी
( Kashi )
वसुधा का सिंगार है काशी
ज्ञान ध्यान भंडार है काशी
बहती जहां गंग की धारा
जिसका पावन कूल किनारा
अर्धचंद्र शिव के माथे पर
बहती चंद्राकार है काशी
गायन वादन नृत्य विहंगम
सुर लय ताल छंद का संगम
मन को मुग्ध करें स्वर लहरी
बना हुआ रसधार है काशी
गूंज रहा देवत्व जहां पर
ज्ञान ध्यान भंडार है काशी
कण-कण में सोहे प्रलयंकर
शिव त्रिशूल पर बसी है नगरी
अविनाशी दरबार है काशी
तीन लोक में महिमा न्यारी
“जीज्ञासु” अर्चन मनुहावारी
दया धर्म अध्यात्म जहां है
विश्व धर्मगुरु द्वार है काशी
ज्ञान ध्यान भंडार है काशी
कमलेश विष्णु सिंह “जिज्ञासु”
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