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काव्य मिलन | Kavita Kavya Milan

काव्य मिलन

( Kavya Milan )

 

माँ-बाप से बढ़कर, हमें करता कोई प्यार नहीं,
उनसे ही वजूद हमारा उनके बिना संसार नहीं,

हाथ पकड़कर चलना वो ही हमें सिखलाते हैं,
उनसे ज़्यादा इस दुनिया में और मददगार नहीं,

जब-जब चोट हमें लगती मरहम वो बन जाते,
तबीब भी कोई उनके जैसा है तर्जुबेकार नहीं,

उनका दिल न दुखाया करें दीन-दुनिया उनसे,
सफ़क़त में रहें उनकी दुआ जाती बेकार नहीं,

हमें रखें छाँव में खुद शजर बन धूप में जलते,
हमें खिला वो भूखे हँसें उनसा अदाकार नहीं!

Aash Hamd

आश हम्द

पटना ( बिहार )

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