Kavita Aaj ki Shaadi mein
Kavita Aaj ki Shaadi mein

आज की शादी में

( Aaj ki shaadi mein )

 

हो रहा है सतरंगी आकाश आज की शादी में
बारात आई है इस शहर की घनी आबादी में।

छोड़े नहीं कोई चावल – रोटी लेकर थाली में
आँसू बह जाते हैं बिखरे दानों की बर्बादी में।

कुत्ते अलग ही टूट रहे हैं एक दूजे पर देखो
आदमी देख रहा है नजारा सुती – खादी में।

बेटा वाला चढ़ कर सिर जो बोल जाता है
पता नहीं उसे एक पिता टूट जाता है शादी।

तुम आकाश सतरंगी करके भले दिखला दो
व्यथा बनी रहती है शहर की घनी आबादी में।

Vidyashankar

विद्या शंकर विद्यार्थी
रामगढ़, झारखण्ड

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