
दिल को हारने से रोको जरा
( Dil ko harne se roko jara )
मेहनत का फल होता खरा
अतीत हो कितना अंधेरा भरा
आशा ने देखो उजाला करा
मजदूर मेहनतकश देखो जरा
लगन किसान की खेत है हरा
सोकर उठो जागो देखो जरा
जीवन में रुकना नहीं है भला
कदमों को आगे बढ़ते चला
हारना जीतना है यह कला
जो जला उसको उतना मिला
खुशीयां दूजे की मन ना जला
तुझे क्या पता कौन कैसे पला
डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )
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