Kavita Tumhe Rona Nahi Hai
Kavita Tumhe Rona Nahi Hai

तुम्हे रोना नहीं है

( Tumhe Rona Nahi Hai )

 

हे! पुरुष! तुम्हे रोना नहीं है
खो जाना है सबमे मगर
खुद मे होना नहीं है
हे पुरुष! तुम्हे रोना नहीं है

भले तुमसे हि है
अस्तित्व परिवार और समाज का
तुम पर ही है जिम्मेदारी का बोझ
फिर भी, हे पुरुष! तुम्हे रोना नहीं है

संभालने हैं हर रिश्ते नाते
तुम हि बेहतर सभी के वास्ते
देने हैं हक सभी को, पाना नही है
तब भी, हे पुरुष! तुम्हे रोना नहीं है

तुम्ही तो वजह हो परिवार के
तुमसे हि भविष्य है कल का
इतिहास भी पूछेगा तुमसे हि
कर्ता तुम्ही हो, इसीलिए
हे पुरुष! तुम्हे रोना नहीं है

बच्चे, बूढ़े, समाज, देश
हक है सभी को प्रश्नों का
जवाब देना तुम्हे जरूरी है
तुम पुरुष हो! मर्द हो! उत्तरदायी हो
निभाना है, किंतु
हे पुरुष! तुम्हे रोना नहीं है

तुम पुरुष हो, रोना शोभा नहीं देता
हे पुरुष! तुम्हे रोना नहीं है
तुम्हे रोना नही है !!!!!

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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