मैं हिंदी हूँ | Hindi Diwas par Kavita
मैं हिंदी हूँ
( Main Hindi Hoon )
मैं हिंदी हूँ
हिंद की जय बोलती हूँ,
देश के कण-कण में मेरे प्राण बसे
प्रेम-भाईचारे के भाव से
सभी के दिलों को जोड़ती हूँ
मैं हिंदी हूँ, हिंद की जय बोलती हूं ।
मैं हिंदी हूँ, हिंद की जय बोलती हूं ।
भारतवर्ष देश है मेरा
विभिन्न जात-धर्म का यहाँ बसेरा
कोई काला-गोरा ना देखती हूँ ।
सिर्फ़ इंसानियत ही पूजती हूँ
मैं हिंदी हूँ, हिंद की जय बोलती हूँ ।
देखी है मैंने गुलामी
झेली है अंग्रेज़ों की मनमानी
ख़ूब तड़पी थी यह धरती
खून से लिखी गई आज़ादी की कहानी ।
इतिहास के सीने पर लगे ज़ख़्म देखकर
मैं अक्सर रोती हूँ ।
मैं हिंदी हूँ, हिंद की जय बोलती हूँ
मेरी कलम के सिपाही
ना रुकते हैं कभी
प्रेम-मानवता ही है धर्म उनका
उस पर ही चलते सभी
मंज़िल पाना काम है उनका
मैं तो सिर्फ़ दिशा देती हूँ ।
मैं हिंदी हूँ, हिंद की जय बोलती हूँ ।
मैं हिंदी हूँ, हिंद की जय बोलती हूँ ।
कवि :संदीप कटारिया ‘ दीप ‘
(करनाल ,हरियाणा)