राणा वीर जब्बर
राणा वीर जब्बर

रणबंका राणा वीर जब्बर

( Ranbanka rana veer jabbar )

 

आजादी रो दीवानो हूं मैं देशभक्त मतवाळो हूं
भारत मां को लाडलो मायड़ रो लाल रुखाळो हूं

 

तीर चलै तलवार चलै वारा रा ऊपर वार चलै
रणबांकुरा रण म कूदै रणवीरां री हुंकार चलै

 

चित्तौड़ शान सूं खड़यो मुगलां सूं टक्कर लेतो हो
राणा रो भालो चलतो महाकाल जबर कर देतो हो

 

हर-हर करता महावीर बढ़़ चल्या हाथां म ले हथियार
भीषण भारी शोर मच्यो सूंना होग्या दिल्ली बजार

 

कटी फटी लाशां बिखरी हळदी रो आंगणं लाल हुयो
मर गया बिना मारया लाखां जद बो जळतो सो काळ हुयो

 

राणा प्रलय की आग बण्यो जय शिवशंकर बोल गयो
हड़कंप माचगो बैरया म अकबर रो आसन डोल गयो

 

घोड़ों दौड़ो पूंच्यो गज पै भालों बड़ो कमाल करयो
हौदा म कायर मान छिप्यो मन म ईश्वर रो नाम धरयो

 

आंख्या सूं आग बरस री ही जद राणा हूंकार भरयो
भागो माची बैरी दल म जद रूष्ट रूद्र न वार करयो

 

नदी नाळा पार कर चेतक कमाल दिखारयो हो
टप टप टापां सुणती बिजळी सी फुर्ती ल्या रो हो

 

म्हे माटी री आन बान म शीश चढ़ाणो जाणां हां
केशरियो निकळां बांध्यां बैरियां न घणों पछाड़ा हां

 

सगळो आकाश गूंज रहयो जय एकलिंग रो नारो हो
दिन म तारा दिखा दिया मेवाड़ी सूरमो सितारों हो

 

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कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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