Kavita Mata Pita
Kavita Mata Pita

माता पिता

( Mata Pita )

 

माता पिता छोड़ चले मुझे अधर झूल में
दुआ आशीष छोड़ चले मुझे अधर झूल में

दुखों का पहाड़ टूटा मेरे सिर पर भारी
प्यार ममता छोड़ चले मुझे अधर झूल में

अनुभव नहीं था कोई बोझ उठाने का ज़रा
भरा परिवार छोड़ चले मुझे अधर झूल में

आशीर्वाद दिया आत्मा से सिर पर रख हाथ
रोता बिलखता छोड़ चले मुझे अधर झूल में

बाधा बन कर आये सामने हुए धरा शाही
शक्ति पुंज छोड़ चले मुझे अधर झूल में

मां बाप का साया सिर से उठा ‘कागा’
दया दुलार छोड़ चले मुझे अधर झूल में

कवि साहित्यकार: डा. तरूण राय कागा

पूर्व विधायक

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