Kavita Mandir Banne Wala Hai
Kavita Mandir Banne Wala Hai

मंदिर बनने वाला है

( Mandir banne wala hai ) 

 

मन धीर धरो क्यो आतुर हो,अब शुभ दिन आने वाला है।
साकेत की दिव्य धरा पर फिर से, मंदिर बनने वाला है।

अब हूक नही हुंकार भरो, श्रीराम का जय जयकार करो,
तुम पहन लो केसरिया साँफा, घर राम का बनने वाला है।

राजा दशरथ संग कौशल्या, कैकयी सुमित्रा भी होगी।
मन्दिर ऐसा निर्माण करो, रघुवंश का हर वशंज होगा।

जहाँ भरत माण्डवी भी होगी,लक्षमण संग होगी उर्मिला,
शत्रुधन साथ में श्रुतकिर्ति, अदभुद सा होगा ये किला।

दरबार राम का सीता संग,जिसकी ना कही भी शानी हो।
इस धरती का ऐसा मन्दिर, जहाँ सृष्टि के सारे ज्ञानी हो।

जहाँ रामलला जन्मे थे वहाँ, चाँदी का सुदर्शन पालना हो,
जिसमें झूलेगे रामलला, मन धीर धरो क्यो आतुर हो।

 

कवि शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

यह भी पढ़ें : –

जीवन के इस धर्मयुद्ध में | Poem jeevan ke dharmayudh mein

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here