kavita mehakti baharain
kavita mehakti baharain

महकती बहारें

( Mehakti baharain )

 

 

फिजाओं में खुशबू फैली खिल गए चमन सारे।
झूम-झूम लगे नाचने लो आई महकती बहारें।

 

वादियों में रौनक आई लबों पे मुस्कानें छाई।
प्रीत भरे तराने उमड़े मस्त मस्त चली पुरवाई।

 

वृक्ष लताएं डाली डाली पत्ता पत्ता लहराने लगा।
मस्त बहारें चली सुहानी दिल दीवाना गाने लगा।

 

मन मयूरा मस्ती भर मदमाता इठलाता रहा।
बागों में कलियां खिली भंवरा गुनगुनाता रहा।

 

उमंगों ने ली अंगड़ाई करवट बदली मौसम ने।
चाहतों ने भी पंख पसारे महकती हुई बहारों में।

 

मधुर प्रेम रसधार बन, सद्भावों की बनकर धारा।
खुशियों की बरसात कर, उमड़े उर प्रेम प्यारा।

 

मोहक मुस्कान बनकर, सबके दिल पर छा जाये
खुशियों का खजाना हो जीवन में बहारें आ जाये

 

मधुर तराने गीतों के, मुरली की धुन लगती प्यारी।
गुलशन सारा महक उठे,फूलों की महके फुलवारी

 

ठंडी ठंडी मस्त हवाएं दिलों तक दस्तक दे गई।
खुशबुओं से समां महका महकती बहारें भा गई।

 ?

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

शहीदे आजम भगत सिंह | Bhagat Singh par kavita

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here