Kavita nasha kursi ka
Kavita nasha kursi ka

नशा कुर्सी का

( Nasha kursi ka )

 

 

नर झूम-झूम गाता नशा कुर्सी का छा जाता
चंद चांदी के सिक्कों में बहुमत नेता पाता

 

कुर्सी का चक्कर ऐसा सत्ता के गलियारों में
वादे प्रलोभन सीखो भाषण दो हजारों में

 

समीकरण सारे हो कुछ प्यादे हमारे हो
जोड़-तोड़ राजनीति राजनीतिक वारे हो

 

चुनावी दौरे नेताजी सभाएं प्रचार रहे जारी
नशा कुर्सी का चढ़ा राज का पासा है भारी

 

वोट मांगते नेताजी कुर्सी से चिपक गए
वारे न्यारे सारे करके वादों से मुकर गए

 

दिन-रात कुर्सी भाती बेचैनी सी छा जाती
कैसा नशा कुर्सी का कुर्सी सपनों में आती

 

आंखो में कुर्सी दिखे कुर्सी पे दिखते नेताजी
छाया खुमार कुर्सी का सत्ता सुख भाता जी

 

धरना प्रदर्शन हो आम सभा दर्शन हो
पांच साल बाद कोई नया मार्गदर्शन हो

 

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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