नजारा | Kavita Nazara
नजारा
( Nazara )
रंग बिरंगी प्रकृति देखो,
यौवन के मद मे झूमे,
पर्वत पेंड़ों की ये श्रंखला,
आकाश नारंगी को चूमें,
हरित धरा पर सुमन खिले हैं,
बनी मेखला गलियारा,
कौन भला इस यौवन पर
नही है अपना हिय हारा,
अरुणोदय मे अस्ताचल का,
अद्भुत देख नजारा,
कुछ और देर को ठहर मै जाऊं,
कहे ये मौसम है प्यारा।
आभा गुप्ता
इंदौर (म. प्र.)