निर्माणकर्ता अक्सर

 

अक्सर निर्माणकर्ता ,
हांसिए पर छूट जाता है,
लंका पर पुल बनाने वाले,
नल नील आज भी,
बंदर कहलाते हैं।
आतताई रावण से,
लोहा लेने वाला जटायु,
आज भी गिद्ध कहलाता है अपने प्रतिभा के द्वारा,
लंका को तहस-नहस करने वाले आज भी वानर कहकर अपमानित किए जाते हैं ।
अक्सर इतिहास,
विजेता का होता है।
विजेता अक्सर ,
भगवान बन पूज्य हो जाते हैं ।ऐसे भगवान भी अक्सर ,
जो उनके कुल की ,
रक्षा हेतु अपने प्राण ,
न्योछावर कर देते हैं,
उनको भालू बंदर गिद्ध कह इतिहास में याद किया जाता है।

एक बात अक्षरसह सत्य है कि निर्माणकर्ता सदैव से ही,
हांसिए पर डाले जाते रहे हैं ,
और डाले जाते रहेंगे ,
चाहे वह भगवान के ही,
सहयोगी क्यों ना रहे हो।

योगाचार्य धर्मचंद्र जी
नरई फूलपुर ( प्रयागराज )

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