नुक्कड़ वाली चाय

( Nukkad wali chai )

 

तरोताजा सी भावन लगती नुक्कड़ वाली चाय
हर्ष और आनंद लाती मधुर नुक्कड़ वाली चाय

 

बड़े-बड़े गुलछर्रे चलते वादों की हो भरमार यहां
सारी दुनिया के समाचार दे जाते अखबार यहां

 

किस नेता की क्या खूबी है कौन पटखनी खाएगा
क्या चुनावी रंग होगा अब कौन सरकार बनाएगा

 

सारे ठेकेदारों का जहां लगता देखा पूरा ही रेला है
चाय की चुस्कीओं में चलता खूब जमघट मेला है

 

सबका मन लगा रहता नुक्कड़ की हैलो हाय में
आपस में सुख-दुख बांटते नुक्कड़ वाली चाय में

 

बड़े प्रेम से साथ बैठते कुछ हथकंडे भी लाते हैं
बड़े-बड़े मामले भी चतुराई से ठंडे पड़ जाते हैं

 

नुक्कड़ वाली चाय पी कितने विधायक हो गए
कल तक हमारे थे सत्ता के गलियारों में खो गए

 

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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