प्राण पखेरू उड़ जाना है | Kavita pran pakheru
प्राण पखेरू उड़ जाना है
( Pran pakheru ud jana hai )
प्राण पखेरू उड़ जाना है
पिंजरा खाली कर जाना हैl
रिश्ते नाते पति और बेटा
बंधन तोड़ चले जाना है l
कसमे वादे ईमान वफा
पीछे सब रह जाना हैl
मिट्टी का बना यह पुतला
मिट्टी में मिल जाना हैl
द्वेष भावना हंसी खुशी
सभी यहीं रह जाना हैl
काम क्रोध लोभ मोह सब
इन्हें त्याग अब जाना हैl
पंच तत्व से बना हुआ तन
उसमें ही मिल जाना हैl
रुदन क्रंदन विलाप करना
फिर ना कभी सुन पाना हैl
अच्छे कर्म किए जा प्यारे
संग वही बस जाना हैl
रोते-रोते तू आया था
हंसते-हंसते जाना हैl
दीया जन्म था जिसने तुझको
उसमें ही मिल जाना है l
धन दौलत और संपत्ति सारी
छोड़ यहां ही जाना है l
घर मकान अरु बंगला गाड़ी
साथ नहीं ये ले जाना है l
मन पंछी उड़ जाना एक दिन
पंख कतर रह जाना हैंl
सोना चांदी हीरे मोती
भूल सभी यह जाना है l
तन पर पड़ा कफन भी तेरा
फेक यहीं पर जाना है l
बंद मुट्ठी कर आया था तब
खुले हाथ अब जाना हैंl
कंधे चार मिल जाते जिसको
नसीब उसका ही माना हैl
निराकार बन ओंकार से
स्थूल सा रह जाना है l
प्रीति आत्मा अनंत नभ मे
जाकर विलीन हो जाना हैl
आना-जाना नियम प्रकृति का
अपना फर्ज निभाना हैl
सत् कर्मो पर खुश हो तेरे
मौत को झुक जाना है l