सांवरे की बंसी | Kavita Sanware ki Bansi
सांवरे की बंसी
( Sanware ki Bansi )
सताने लगी है सांवरे की बंसी,
रिझाने लगी है सांवरे की बंसी,
मुझे रात औ दिन ख्याल है उसका ही,
जगाने लगी है सांवरे की बंसी,
कभी गीत गाके सुनाए है बंसी,
कभी प्रीत मुझसे जताए है बंसी,
मुझे आज कल वो लुभाए है इतना,
सभी चैन छीने जलाए है बंसी,
हमारे कन्हैया की प्यारी है बंसी,
मुझे जान से भी ये प्यारी है बंसी,
मुझे आज कल तो ये उलझाए रखती
कभी नाम लेके पुकारे है बंसी।
आभा गुप्ता
इंदौर (म. प्र.)