Kavita Seekh parmatma ki
Kavita Seekh parmatma ki

सीख परमात्मा की

( Seekh parmatma ki ) 

 

जो सबका भाग्य विधाता है जो जग का करतार।
कर्म करो शुभ जग में प्यारे वचन कहे सृजनहार।

मात पिता गुरु का आदर जीवो पर दया कर प्राणी।
क्षणभंगुर सांसों की डोरी ये दुनिया है आनी जानी।

ढाई आखर प्रेम सच्चा सब झूठा है अभिमान।
चलो बांटते प्यार के मोती रख लो मेरा ध्यान।

मत दुखाना दिल किसी का रखना जरा ख्याल।
लगन मेहनत करते जाना कर दूंगा मालामाल।

मायाजाल संसार भरा है हरिनाम सुमिरन सच्चा है।
झूठ छल कपट चोरी से मेहनत की खाना अच्छा है।

सत्य की राहें है सुहानी बाकी सब अंधकार भरा।
औरों के हित में जो जीए गर्व करती यह वसुंधरा।

सेवा परोपकार पुण्य जप तप दान फलदाई।
धर्म करो जग धर्मात्मा हरि भजन है सुखदाई।

सज्जनों का आदर हो बड़ों का करो सम्मान।
यज्ञ हवन पुनीत कर्म सुख मिलता सुर ज्ञान।

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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