तमाशा | Kavita Tamasha
तमाशा
( Tamasha )
कौन कहता है
आईने झूठ नहीं बोलते
वे चेहरे के पीछे की परतों को कहाँ खोलते हैं
दिये गये सम्मान में भी
दिली सम्मान कहाँ होता है
उसमे तोचापलूसी के पीछे
छिपा मतलब हि होता है
झंडा उठाने वाले भी
लेते हैं अपनी मजदूरी
दल से उन्हें किसी हमदर्दी नहीं है
हर दल पर उन्हे शंका है
आज तक भी उनके यहाँ फाका है
लतियाये जाते हैं
स्वागत लिखे पायदान भी
दीपावली के दिनों में भी चौखट पर
लक्ष्मी जी के स्टिकर चिपके मिलते हैं
बदल गए हैं मायने अदर्शता के
सारा खेल दिखावे की जादूगरी का है
तमाश् बीन समाज
तोलियाँ भर हि बजाता रहता है
( मुंबई )
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