Papa
Papa

पापा

( Papa ) 

 

वह झुके नहीं वो रुके नहीं
वह मेरी बातों पर देखो
हंसकर हां कर जाते थे l
गुस्सा होने पर मेरे कैसे
पास बुला समझाते थेl
सही गलत के भेद बता
राह नयी दिखाते थे l
मेरी लाडो रानी कहकर
मुझे सदा बुलाते थे l
नपे तुले शब्दों में बोलो
हम सबको सिखलाते थे l
कठिन परिस्थिति मे भी
आगे बढ़ना सिखाते थे l
मेहनत और परिश्रम से
डरना ना बतलाते थेl
इज्जत और ईमान से
जीना वह बताते थेl
गिर जाने पर वह फिर
हाथ पकड़ उठाते थेl
जीत हार दो पहलू है
कमी रही बतलाते थेl
आदर से आदर मिलता है
आदर देना , बतलाते थेl
आंखों पर चश्मा होठों पर मुस्कान ऐसे मेरे पापा थेl

 

डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )

यह भी पढ़ें :-

बेटा | Beta

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here