वह पानी बेचता है

( Wah Pani Bechta Hai )

 

इस बचपन में
वह बेचता है पानी
ट्रेन में,
बस में,
धूप में,
फुटपाथ पर ।
वह बेचता है पानी-
एक रुपये के
पोली बैग से लेकर
पन्द्रह-बीस रुपये की
बोतल में,
अपनी जिंदगी के
सुनहले सपने संजोए
सजल आंसू वर्षाए !

‘ जल ही जीवन ‘ है
का संदेशा लिए
शुरु किया है
पानी को बेचना
अपनी परिवार की
भूख मिटाने की खातिर!
वह बेचता है पानी
तमाचा जड़ते हुए
उन रहनुमाओं के
गालों पर,
बनाते हैं-जो
शीत-कक्षों में
बाल-श्रमिकों
की मुक्ति योजना।

Shekhar Kumar Srivastava

शेखर कुमार श्रीवास्तव
दरभंगा( बिहार)

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पदचिन्ह | Kavita Padachinh

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