तूफान | Kavita toofan
तूफान
( Toofan )
सर पे आसमां रखता दिल में समाए तूफां रखता।
शमशीरो का आगार हूं हृदय में हिंदुस्तान रखता।
तूफान उठे उठने दो चाहे बिजलिया गिरे अविरत।
बुलंद हौसला रखे दिल में रहती माँ भारती मूरत।
हम आंधी तूफानों को भी मोड़ नया दिखा देंगे।
काली अंधियारी रातों में हम राष्ट्रदीप जला देंगे।
कलम जब बोल देती है तूफान खड़ा हो जाता है।
सत्ता की उन गलियों में बवाल बड़ा हो जाता है।
जब जब सच्चाई पर चले कई तूफान झेले हैं।
ये दुनिया बड़ी रंगीन किरदारों के लगते मेले हैं।
आंधी तूफानों में पलते प्यार के मोती लुटाते हैं।
दर्द की दवा हम बनकर सबको गले लगाते हैं।
यही संस्कार हमारे हैं सभ्यता जो हमने जानी है।
आदर करना सीखा हमने एक सब हिंदुस्तानी हैं।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )