उगता सूरज | Kavita Ugta Suraj
उगता सूरज
( Ugta Suraj )
उगता सूरज हम सबको बस
यही बताता है!
हार न मानें ढलके भी फिर से
उग आना है!!
विमुख नहों कर्मों से अपने
कभी न हिम्मत हारें!
एक दिन हम इतिहास रचेंगे
जब दृढ़ प्रतिज्ञ हों सारे!!
मोती पाता वही है जग में
जिसको जोखिम भाता!
कर्मों से जो विमुख हुए हैं
बस वोही है पछताता!!
सांसे सबकी निश्चित होती
एक दिन है सबको जाना!
यादगार बनना है तुमको
या विस्मृत हो जाना!!
जिज्ञासु जन सोच समझ लो
नहीं है उम्र गवांना !
बीत गया जो समय तो जानों
होगा पछताना!!
उगता सूरज हम सबको बस
यही बताता है!
हार न माने ढलके भी फिर से
उग आना है!!
कमलेश विष्णु सिंह “जिज्ञासु”