Kavita Pyari Paati
Kavita Pyari Paati

प्यारी पाती

( Pyari Paati )

 

मां की आस पिता का संबल
बच्चों की अभिलाषा!
प्यारी पाती आती जब थी
पुलकित घर हो जाता!!

घरनी घरमें आस लगाए
रहती बैठी ऐसे !
‘जिज्ञासु’ चकोर चांद के लिए
टक टकी लगाए जैसे!!

सीमापर जवान को अपनी
चिंता दूर भगाती !
बीवी बच्चे मात-पिता संग
सबका हाल सुनाती!!

गाय बैल खेती-बारी फसलों
की हाल बतलाती!
बाग बगीचे और अनाज की
कीमत को दर्शाती !!

पाती पा होता, रण में निहाल
रण रंगी !
ओज तेज बल देख, चले भाग
प्रतिद्वन्द्वी !!

Kamlesh  Vishnu

कमलेश विष्णु सिंह “जिज्ञासु”

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