किताबें
किताबें
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खाली अलमारियों को
किताबों से भर दो,
बैठो कभी तन्हा तो
निकाल कर पढ़ लो।
हो मन उदास तो-
उठा लो कोई गीत गजल
या चुटकुले कहानियों की किताब,
पढ़कर भगा लो अवसाद।
ये जीवनसाथी हैं,
दोस्त हैं।
दवा हैं,
मार्गदर्शक हैं।
समय समय पर उन्हें निहारो,
समझो परखो विचारो।
गूढ़ बात अपना लो,
जीवन धन्य बना लो।
ये किताबें ही-
शून्य से शिखर को पहुंचाती हैं,
मंगल चंद्र तक ले जातीं हैं।
अंतरिक्ष के रहस्य सुलझाती हैं,
जीवन जीना सिखाती हैं;
मानव को इंसान बनाती हैं।
इनसे दूरी नहीं,नजदीकियां बढ़ाओ,
नये नये दर्शन पाओ।
जो तुम्हें मूर्त लगे अपनाओ,
जीवन की नैया पार लगाओ!
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लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार ।
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